मंगलौर में भाजपा की हार के बावजूद, यह साफ है कि पार्टी ने वहां अपनी मजबूत पकड़ बनाई है और अगले चुनावों में वह और भी मजबूती से उभर सकती है..
उत्तराखंड में हुए हालिया उपचुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने एक नई कहानी लिखी। मंगलौर और बद्रीनाथ विधानसभा सीटों पर हुए चुनावों में जहां एक तरफ मंगलौर सीट पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा, वहीं बद्रीनाथ में पार्टी ने वही परिणाम हासिल किया जिसकी भविष्यवाणी की जा रही थी।
मंगलौर, जो मुस्लिम बहुल क्षेत्र है, में भाजपा ने इस बार ऐतिहासिक प्रगति दिखाई.
पिछले चुनावों में जहां पार्टी हमेशा तीसरे या चौथे स्थान पर रही थी, इस बार मुकाबला बहुत कड़ा रहा।
भाजपा मात्र 422 वोटों से हार गई,हालांकि यह हार निराशाजनक हो सकती है, लेकिन इसके पीछे की कहानी कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है।
मंगलौर जैसी सीट पर भाजपा ने साबित कर दिया कि वह उन सीटों को भी जीतने में सक्षम है, जिन पर पारंपरिक रूप से विपक्षी दलों का दबदबा रहा है।
भाजपा की इस प्रगति को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यह पार्टी की रणनीति और जमीनी स्तर पर किए गए कार्यों का परिणाम है। मंगलौर में भाजपा की हार के बावजूद, यह साफ है कि पार्टी ने वहां अपनी मजबूत पकड़ बनाई है और अगले चुनावों में वह और भी मजबूती से उभर सकती है.
वहीं दूसरी ओर, बद्रीनाथ में भाजपा के उम्मीदवार राजेंद्र भंडारी को अपने बयानों का खामियाजा भुगतना पड़ा। चुनाव के दौरान भंडारी का दो साल पुराना एक ऑडियो वायरल हुआ था, जिसके चलते उन्हें ब्राह्मण वोटों का समर्थन नहीं मिल सका। इस ऑडियो में भंडारी के विवादित बयान ने उनकी छवि को धक्का पहुंचाया और अंततः उनकी हार का कारण बना।
लेकिन मंगलौर को हारकर भी भाजपा ने ये सिद्ध कर दिया कि वो ऐसी सीटें जीतने में भी सक्षम है,जिन पर विपक्षी अपना दावा करते आए हैं