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गैरसैंण की धरती बनी सेवा-यज्ञ की भूमि, हज़ारों को मिला जीवन-संवेदना का स्पर्श  

 

गैरसैंण की धरती बनी सेवा-यज्ञ की भूमि, हज़ारों को मिला जीवन-संवेदना का स्पर्श

 

गैरसैंण में महंत इन्दिरेश अस्पताल का निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर पहाड़ की धड़कनों तक पहुँची सेवा श्री महंत देवेंद्र दास जी महाराज जी को नमन

गैरसैंण यानी उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी जिस धरती ने वर्षों से विकास की बाट जोही, जिन घाटियों ने सिसकियों में सुविधाओं की पुकार की — आज वही गैरसैंण, उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी, स्वास्थ्य सेवा के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय की साक्षी बनी।

श्री गुरु राम राय एजुकेशन मिशन व विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल, देहरादून द्वारा गैरसैंण में एक विशाल निःशुल्क स्वास्थ्य एवं कैंसर जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया।
जहां 3000 से अधिक पर्वतीय नागरिकों ने न केवल स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाया, बल्कि वर्षों से पनपते दर्द और उपेक्षा को सेवा और संवेदना के मरहम से राहत मिलती देखी।
श्री महंत देवेंद्र दास जी महाराज जी को सच्चा नमन:

इस संपूर्ण सेवा यज्ञ का केंद्र हैं —
परम पूज्यनीय श्री महंत देवेंद्र दास जी महाराज,
जिनके करुणामय नेतृत्व, अडिग संकल्प और समाज के अंतिम जन तक सेवा पहुँचाने की ललक ने इस असंभव से दिखते कार्य को संभव बना दिया।
महंत जी केवल एक संस्था के अध्यक्ष नहीं, बल्कि वो ध्रुवतारा हैं — जो आज सेवा, श्रद्धा और समर्पण की दिशा दिखा रहे हैं।
उनका मानना है कि:
“सेवा वहीं पूरी होती है, जहाँ पथ सबसे कठिन हो। और पहाड़, वो कठिन पथ है — जो समर्पण की माँग करता है।”

पहाड़ को मिली वो सेवा, जिसकी प्रतीक्षा वर्षों से थी

जहां आज भी कई गाँव अस्पताल और विशेषज्ञों से कोसों दूर हैं — वहाँ गैरसैंण की वादियों में एक ऐसा शिविर सजा, जहाँ पहुँचे:
कैंसर, हृदय, न्यूरो, महिला, बाल, मानसिक, नेत्र, त्वचा, हड्डी, दंत, ईएनटी, फिजियो चिकित्सा के वरिष्ठ विशेषज्ञ
साथ ही ईसीजी, ब्लड शुगर, बीपी जांच और आवश्यक दवाओं का पूरी तरह निःशुल्क वितरण किया

सेवा पहुँची वहाँ तक, जहा.. सरकारी डॉक्टर भी पहुंचने में पीछे रहते हैं..
सारकोट, मेहलचौरी, मैठान, पंचाली, भराड़ीसैंण, दिवालीखाल, मलई, जंगलचट्टी, नागचुलाखाल, पांडवखाल (कुमाऊं) जैसे अनेक दुर्गम गांवों से लोग आए — और पहली बार अपने दर्द की सही जांच व इलाज पाकर भावुक हो उठे।
एक बुजुर्ग महिला की आंखें नम थीं जब उसने कहा:
“बेटा, पहली बार कोई हमारे गाँव तक सेवा ले कर आया है, वरना तो डॉक्टर सिर्फ फोटो में देखे थे।”

समाज की ओर से एक स्वर: “श्री महाराज जी का आभार”

स्वास्थ्य शिविर के समापन पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों, समाजसेवियों, युवाओं और बुद्धिजीवियों ने एक स्वर में कहा:
“श्री महंत देवेंद्र दास जी महाराज जी का यह कार्य एक सेवा नहीं, बल्कि एक क्रांति है। यह सिर्फ इलाज नहीं था, यह पहाड़ के आत्मसम्मान की मरहम था।”

एक संदेश — जो हर दिल तक पहुँचा:

यह शिविर यह संदेश देकर गया कि सेवा, अगर हृदय से हो — तो वह पहाड़ों की ऊँचाई भी पार कर सकती है।

श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल, एक बार फिर साबित कर चुका है कि वह सिर्फ अस्पताल नहीं, एक जन-आंदोलन है — जो श्री महाराज जी की प्रेरणा से हर उस द्वार पर दस्तक देना चाहता है, जहाँ दर्द बेआवाज़ है।

श्री महंत देवेंद्र दास जी महाराज जी को शत्-शत् नमन,
जिन्होंने यह दिखाया कि
“सेवा कोई नारा नहीं, बल्कि कर्म है — और अगर नीयत पवित्र हो, तो पहाड़ भी झुककर स्वागत करते हैं।”

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