युवाओं ने जिस आंदोलन को सरकार पर दबाव के लिए शुरू किया था, वह देखते ही देखते एक उपद्रव में बदल गया पढ़े पूरी रिपोर्ट
भर्ती परीक्षाओं में धांधली का विरोध कर रहे बेरोजगार युवाओं का यह आंदोलन देखते ही देखते दिशाविहीन हो गया। युवाओं के नेताओं को ही पता नहीं चला कि कब उनके हाथ से नियंत्रण चला गया। ऐसे में युवाओं ने अपने नेताओं की ही सुननी बंद कर दी। एक रेस्टोरेंट में नेताओं को अफसरों ने वार्ता के लिए बुलाया लेकिन बाहर मौजूद युवाओं ने तोड़फोड़ शुरू कर दी। यहीं से मामला बिगड़ गया और पुलिस को बल प्रयोग करने का फैसला लेना पड़ा।
दरअसल, बृहस्पतिवार सुबह से ही पुलिस और प्रशासन के अधिकारी प्रदर्शनकारियों से वार्ता की कोशिश कर रहे थे। कुछेक युवाओं ने वार्ता का प्रयास किया तो दूसरों ने हल्ला मचाते हुए उन्हें रोक लिया। मजबूरन अधिकारियों को वहां से जाना पड़ा। जिलाधिकारी सोनिका भी एक बार वार्ता के लिए पहुंचीं लेकिन युवाओं की उग्र भीड़ को देखते हुए उन्होंने वहां से जाना ही मुनासिब समझा। करीब चार घंटे बाद सवा दो बजे पांच युवाओं का एक प्रतिनिधिमंडल जिलाधिकारी और पुलिस अधिकारियों से वार्ता के लिए राजी हुआ।
सभी को एक रेस्टोरेंट में बुलाकर वार्ता शुरू की गई। उन्हें समझाया गया था कि बाहर सब शांत रहे। उन्होंने भी आश्वासन यही दिया। वार्ता के बीच में उन्हें बताया गया कि युवाओं को सड़क से हटने के लिए कहा जाए। इससे पहले कि प्रतिनिधिमंडल कुछ कह पाता, बाहर मौजूद युवाओं ने हंगामा शुरू कर दिया। प्रतिनिधिमंडल में शामिल एक युवा ने बार-बार अपने अन्य नेताओं को फोन किया लेकिन युवाओं ने एक न सुनी। बाहर गाड़ियों में तोड़फोड़ शुरू कर दी। इससे लगा कि युवाओं ने जिस आंदोलन को सरकार पर दबाव के लिए शुरू किया था, वह देखते ही देखते एक उपद्रव में बदल गया
चेतावनी के साथ समझाया अफसरों ने पर नहीं माने बेरोजगार
युवाओं के प्रतिनिधिमंडल से आईजी गढ़वाल रेंज करण सिंह नगन्याल, जिलाधिकारी सोनिका, एसएसपी दलीप सिंह कुंवर, एसपी सिटी सरिता डोबाल, एडीएम केके मिश्रा आदि अधिकारियों ने वार्ता शुरू की थी। इस दौरान उन्हें समझाया गया कि यदि कानूनी कार्रवाई हुई तो उनका कॅरियर बर्बाद हो जाएगा। युवाओं ने अपनी शर्तें रखनी शुरू कीं तो अधिकारियों ने उन्हें इत्मिनान से सुनना शुरू किया। लेकिन, कुछ देर बाद ही माहौल बाहर बिगड़ गया।
वार्ता के लिए बार-बार आए अधिकारी, युवाओं ने लौटाया
शुरुआत से ही अधिकारियों ने वार्ता की कोशिश की थी। सबसे पहले करीब 12 बजे आईजी गढ़वाल रेंज करन सिंह नगन्याल वहां पहुंचे थे। उन्होंने वार्ता की कोशिश लेकिन युवाओं ने उन्हें टिकने ही नहीं दिया। मजबूरन आईजी को जाना पड़ा। इसके बाद करीब डेढ़ बजे एसएसपी दलीप सिंह कुंवर पहुंचे थे। कुछ युवाओं ने उनकी सुननी चाही लेकिन अन्य ने हंगामा कर दिया। कुछ देर बाद वहां जिलाधिकारी आईं। युवाओं ने उनके साथ भी इसी तरह का सुलूक किया।
बुधवार रात हुई पुलिस कार्रवाई के वीडियो वायरल होने पर बिगड़ा माहौल
बेरोजगारों का बृहस्पतिवार को भी आंदोलन शांतिपूर्वक रहने की संभावना थी। लेकिन, पुलिस की बुधवार रात की कार्रवाई ने खेल बिगाड़ दिया। इस कार्रवाई के वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुए। पुलिस पर आरोप लगे तो वहां पर भीड़ जमा होती गई। देखते ही देखते स्थिति कंट्रोल से बाहर हो गई। बेरोजगार युवाओं ने पुलिस पर बदसलूकी का आरोप भी लगाया है। पुलिस ने बुधवार रात को बेरोजगारों को प्रदर्शन स्थल से हटाना चाहा था।
इस दौरान कुछेक पर बल प्रयोग भी करना पड़ा। इसका कई युवाओं ने वीडियो बनाया। यह वीडियो को सैकड़ों ग्रुप पर वायरल हो गए। इससे युवाओं को सूचना मिलती गई और सुबह के वक्त हजारों की संख्या में युवा गांधी पार्क के सामने जमा हो गए। यहां भी अधिकारियों के सामने युवाओं ने पुलिस पर बदसलूकी के आरोप लगाए। प्रदर्शन के दौरान पुलिस मुर्दाबाद के नारे भी लगाए गए। कुल मिलाकर बृहस्पतिवार का आंदोलन पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ ही हुआ। रही सही कसर बाहर से शामिल हुए असामाजिक तत्वों ने पूरी कर दी।
अधिकारियों पर फेंकी पानी की बोतलें
पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों को वहां पर बेरोजगारों का जबरदस्त विरोध झेलने को मिला। इनमें शामिल असामाजिक तत्वों ने अधिकारियों पर प्लास्टिक की बोतलें भी फेंकीं। इसको देखते हुए अधिकारी भी वहां से चले गए