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समाज का सहारा बनने वाली संस्थाएं ही असली धरोहर हैं जय हो गुरु महाराज जी की      

 

समाज का सहारा बनने वाली संस्थाएं ही असली धरोहर हैं जय हो गुरु महाराज जी की

 

 

 

उत्तराखण्ड की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों और बार-बार आने वाली आपदाओं ने पहाड़ के लोगों की जीवन-यात्रा को हमेशा चुनौतीपूर्ण बनाया है। ऐसे समय में जब पहाड़ संकट की घड़ी से गुजर रहा हो, समाज के विभिन्न वर्गों से मिली मानवीय सहायता पीड़ितों के लिए संबल बन जाती है। श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय ने एक बार फिर इस संवेदनशील परंपरा को आगे बढ़ाते हुए बसुकेदार (रुद्रप्रयाग) आपदा पीड़ितों के लिए राहत सामग्री भेजी है।
गुरुवार को विश्वविद्यालय के सलाहकार विपिन चन्द्र घिल्डियाल और कुलसचिव डॉ. लोकेश गंभीर ने राहत सामग्री से लदे वाहनों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। राहत सामग्री से भरे वाहनों में खाद्यान्न, दवाइयां और दैनिक जीवन की अन्य आवश्यक वस्तुएं शामिल हैं। यह सामग्री स्थानीय प्रशासन एवं केदारनाथ विधायक आशा नौटियाल के सहयोग से प्रभावित परिवारों तक पहुंचाई गई

विश्वविद्यालय के माननीय प्रेसीडेंट श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज ने कहा कि “ऐसे संकट के समय केवल औपचारिक मदद नहीं, बल्कि करुणा और सेवा का भाव ही सच्चा धर्म है। पीड़ित परिवारों को इस कठिनाई से उबरने की शक्ति मिले, यही हमारी प्रार्थना है।” उन्होंने विश्वविद्यालय समूह के सभी संस्थानों से अपील की कि वे राहत कार्यों में अधिक से अधिक सहयोग करें।
आपको बता दे यह पहला अवसर नहीं है जब एसजीआरआर विश्वविद्यालय ने आपदा पीड़ितों के लिए कदम बढ़ाया हो। धराली (उत्तरकाशी) और थराली (चमोली) की तरह अब बसुकेदार (रुद्रप्रयाग) आपदा पीड़ितों के लिए भी श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय एवं श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल ने मदद का हाथ बढ़ाया है। उत्तरकाशी और चमोली आपदा प्रभावितों के लिए विश्वविद्यालय ने न केवल राहत सामग्री पहुंचाई थी, बल्कि श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में निःशुल्क उपचार और विश्वविद्यालय के कुछ पाठ्यक्रमों में प्रभावित परिवारों के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा की सुविधा का प्रावधान किया था, इसी सेवा परंपरा को आगे बढ़ाते हुए अब बसुकेदार आपदा पीड़ितों को भी अस्पताल में निःशुल्क उपचार और विश्वविद्यालय में निःशुल्क शिक्षा का संबल प्रदान करने का प्रावधान किया गया है। यह पहल एसजीआरआर विश्वविद्यालय की निरंतर सामाजिक सेवा और मानवीय संवेदनशीलता का जीवंत उदाहरण है।
इन पहलों ने यह प्रमाणित किया है कि शिक्षा संस्थान केवल ज्ञान के केंद्र नहीं, बल्कि समाज की धड़कन भी हैं। जब कभी विपत्ति आती है, तो विश्वविद्यालय का यह सामाजिक उत्तरदायित्व उसे मात्र औपचारिकता से आगे बढ़ाकर सेवा की मिसाल बनाता है।
राहत कार्यों से जुड़े कई लोगों का कहना है कि श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय का यह प्रयास आपदा की विभीषिका में जूझ रहे परिवारों के लिए एक नई उम्मीद और विश्वास लेकर आया है। जिन लोगों ने धराली और थराली में विश्वविद्यालय की मदद देखी है, उनके लिए यह कदम एक संवेदनशील स्मरण है कि समाज का सहारा बनने वाली संस्थाएं ही असली धरोहर हैं।
श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय की यह पहल केवल राहत सामग्री तक सीमित नहीं है, बल्कि मानवीय संवेदनाओं और सामाजिक उत्तरदायित्व का जीवंत उदाहरण है। यह कार्य आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणादायी संदेश है कि शिक्षा और सेवा का संगम ही समाज को सशक्त और संवेदनशील बनाता है

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